आजकल हर समाज में बच्चों को प्रतिशत की दौड़ में शामिल व अधिक प्रतिशत में प्रोत्साहन स्वरूप प्रतिभा सम्मान ,कम प्रतिशत में बच्चों का अपमान होना उचित है या अनुचित ?

समाज बंधुओं, 

मैं कभी कभी यह सोचने पर मजबूर हो जाता हूं कि आजकल हर समाज में बच्चों को प्रतिशत की दौड़ में शामिल कर उनको प्रोत्साहन स्वरूप प्रतिभा सम्मान से नवाजा जा रहा है। इस प्रतिशत की दौड़ में सामाजिक रूप से सम्पन्न, कमजोर, गरीब परिवारों के बच्चे सभी शामिल होते है। इसके अलावा हम उन आर्थिक रूप से गरीब, कमजोर और सरकारी/निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को जो प्रथम श्रेणी धारक है,कुछ सहयोग राशि देकर प्रोत्साहित करते है ताकि वे अपना भविष्य उज्जवल कर सके। 
बात सही है लेकिन समाज के बड़े बड़े  भामाशाह,राष्ट्रीय संगठन मेरिट पर बात करते हैं! मेरिट में कौन आता है जिसके पास सुविधाएं है साधन है तथा  संपन्न पारिवारिक पृष्ठ भूमि है ! 
एक गरीब व्यक्ति, मजदूर तथा पेशेवर काम करता है बड़ी कठिनाई से परिवार का पोषण होता है बच्चा भी पढाई के साथ माता पिता का सहयोग करता है, सरकारी स्कूल में पढ़ता है और सिर्फ  वह उत्तीर्ण भी होता है और कभी असफल भी हो जाता है तो उसे कौन प्रोत्साहित करेगा। 

कहते है पांचों उंगलियां समान नहीं होती अतः समाज में ऐसे बच्चे भी है जो पढ़कर भविष्य में कुछ हासिल कर अपनी मंजिल को पाने की चाहना तो रखते है लेकिन पारिवारिक और आर्थिक समस्याएं पढ़ने में कमजोर कर देती है अतः प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण तो नहीं हो पाते लेकिन कुछ उत्तीर्ण हो जाते है तो कुछ असफल हो जाते है और वे अन्य बच्चे जो पढ़ने में होशियार होते है और उनको समाज सम्मान कर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते है तो उनके दिमाग में हीन भावना तो जागृत होती है लेकिन कमजोर समझकर कोई अन्य रास्ता अपना लेते है उस से भी परिवार और समाज को एक शर्म सी महसूस होती है। इस लिए हर समाज से मेरी विनती है कि जो समाज प्रतिशत की दौड़ में आगे निकलने वाले बच्चों को भले ही प्रोत्साहित करते रहें लेकिन उन बच्चों के भविष्य का क्या होगा जो अपने परिवार को आर्थिक सहयोग करते हुए पढ़ना भी चाहते और भविष्य में कुछ बनना भी चाहते है लेकिन उनको आगे बढ़ाने में कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता। प्रतिशत की दौड़ में आगे रहने वाले बच्चे तो आगे बढ़ते ही रहेंगे और कुछ बन भी जायेंगे लेकिन समाज को उन केवल उत्तीर्ण और असफल बच्चों को भले ही सम्मान नहीं करे लेकिन उनको भी प्रतिशत की दौड़ में कैसे शामिल किया जाय इसके लिए उनको कैरियर गाइडेंस दी जाय तो समाज के बच्चे बराबरी की भावना से कुछ बनकर सामाजिक जागृति का नया आयाम खड़ा हो सकता है। अतः हर समाज को पढ़ने वाले प्रत्येक बच्चे चाहे वो किसी भी श्रेणी के हो, को उचित मार्गदर्शन मिलना चाहिए।

🙏🌹अज्ञात की कलम 🌹🙏

Comments

Popular posts from this blog

दहियों का राजस्थान से मध्यप्रदेश तक का सफर

दहिया समाज महासंघ मध्यप्रदेश

क्षत्रिय दहिया राजवंश में कई सरनेमों का प्रचलन - ॐ