दहिया समाज मध्यप्रदेश का संक्षिप्ति परिचय


दहिया ,राजपूत वंश की एक शाखा हैं, यह शाखा तीन  वंश में सम्मिलित हुई है, 1 सूर्यवंश , 2 ऋषिवंश तथा 3 चन्द्रवंश । लेकिन मूलरूप से दहिया वंश ऋषिवंश के अंतर्गत आता है, समय परिवर्तन के साथ-साथ रियासतों का विलय होने के कारण इनका पुश्तैनी कार्य भी परिवर्तित हो गया एवं इनका पेशा ग्राम रक्षा हो गया। राजस्थान के जालोर जिले में दहिया क्षत्रियो के 64 गांव है जिन्हे वर्तमान में दहियावटी के नाम से भी जाना जाता है। राजपूतो के इतिहास को देखा जाए तो राजपुतो के 36 वंशो में दहिया वंश बहुत ही प्रभावशाली वंश रहा है।
दहिया खंगारो के साथ बुदंलखण्ड युद्ध मे खेत सिंह खंगार के साथ मारवाड जोधपुर रियासतो से आये थे और खंगार सत्ता स्थापित करवाई तारा गढ रियासत प्रथ्वीराज चौहान ने जीत की खुशी मे प्रदान किया था ये दाहिया राठौर दहायत नाम से जाने जाते है। और नागौद रियासत मे परिहारो की सत्ता स्थापित करवाने आये हुये दहिया दाहिया नाम से जाने जाते है। इनके साथ छल हुआ कोइ राज्य नही दिया गया परिहारो के द्बारा एक रियासत मे परिहार एक रियासत मे दहिया राठौर स्थापित होने थे मगर ऐसा नही हुआ।
 मैहर और नागौद रियासत दोनो मे परिहार राजपूतो ने अपना कब्जा कर लिया नागवंशीयो से युद्ध हुआ नागवंशीयो की हार हुई  परिहार और दहिया राठौड़ की जीत।
किसी तरह का दोष लगाकर दहिया सरदारो को राज्य से निष्काषित कर दिया गया । ताकि राज्य का बटवारा न हो बाद मे कोतवाली का कार्य सौपा गया।
 दाहियो राजपूत समाज  ग्राम कोटवार चौकीदार पदो मे कुछ लोग नियुक्त है और  इस स्थिती मे अब जीवन यापन कर रहे है।
दहिया राठौड़ खंगार सत्ता स्थापित करवाने आये हुये थे खंगारो ने समस्त बुन्देलखंड जीता प्रथ्वीराज चौहान जीत की खुशी मे तारागढ रियासत का राज्य सौपा राव कैलाश सिंह वहाँ के राजा हुए। नागौद मे परिहार सत्ता स्थापित करवाने आये दहिया राठौर मारवाड रियासत से आये हुए थे मगर परिहार अपनी शर्तों को भाटियो से जीत के बाद भूल गये मैहर,नागौद दोनो रियासते हाथिया लिये और कोतवाली का कार्य भार दाहिया राठौड़ को सौपा।
मध्यप्रदेश में जो दाहिया हैं वो राजस्थान के ही वंशज हैं इसमें कोई दो राय नही है।

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