दहिया समाज की एकता का सन्देश (Dahiya Samaj Ki Ekta Ka Sandesh)
सभी महानुभावों को सादर---
जय कैवाय माँ
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एक पहल दहिया राजवंश की एकता के लिए-:
जैसा कि सभी महानुभावों को सर्वज्ञात है कि अपना इतिहास 9 वीं सदी से है, दहियों ने 18 परगनों में राज किया था, इसके बावजूद हम विकास के अनुसार हम पिछड़ गए । लेकिन आज हम कहाँ है?
पिछड़े होने के कई कारण हो सकते हैं ---
जैसे-:
1. उच्चतम शिक्षा
2. एकता का अभाव
3. अन्य कौमो का साथ न देना
4. एक राज्य के दहिया दूसरे राज्य के दहियों में अंतर करना
5. सरनेम को न लिखना (दहिया शब्द की जगह सिर्फ राजपूत लिखना)
6. समाज का कोई राष्ट्रीय स्तर के संगठन न होना
7. यदि कोई व्यापार, व्यवसाय करना चाहता हो तो सहयोग न हो पाना
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ऐसे बहुत से कारण है, लेकिन अब समाज के युवाओं को समझना होगा , और हमारे माता -पिता का भी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि एक रोटी कम खाएं लेकिन बिना भेदभाव किये चाहे लड़का हो लड़की उसे उच्चतम शिक्षा के लिए प्रयास करें । एक आदरर्श रुपी संस्कारों को दिया जाय , ताकि वो बड़ों को सम्मान, छोटों को प्यार दे पाए। और समाज का यानी अपने वंश का इतिहास भी बताया जाए।
तब हम एक आदर्श संगठित दहिया समाज की परिकल्पना कर सकते हैं। और कोई भी राज्य का हो एक दूसरे को संगठित करने के विचार दिया जाए। व्यापार/व्यवसाय करने में तन मन धन से सहयोग करें।
संगठन के नाम से एक बैंक खाता होना चाहिए जो समाज के सदस्यों द्वारा स्वेक्षा अनुसार आर्थिक मदद / सहयोग करें ताकि समाज के विकास कार्यों में अहम भूमिका अदा कर सके।
मध्यप्रदेश में दो ही सरनेम हैं प्रचलित हैं-;
1.दाहिया 2. दहायत आदि।
अन्य राज्यों में भी कई सरनेमों का प्रचलन पाया जाता है लेकिन अब सुधार व सही के लिए आने वाली पीढ़ी में बदलाव करना आवश्यक हो गया है। अन्य राज्यो में भी प्रयास किया जाए, सिर्फ तो सिर्फ सिंह दहिया होना चाहिए। ताकि जब सरनेमो में विभिन्नता खत्म होगी तब एकता का प्रयास सार्थक होगा।
जैसे -: बलवंत सिंह दहिया (पुरुष)
सीमा सिंह दहिया (महिला)
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-विनय सिंह दहिया (कुणाल)
9713682999
ग्राम पोस्ट धौरहरा तहसील अमरपाटन जिला सतना (म.प्र)
नोट-: आने वाली पीढ़ी में जल्द बदलाव आएगा सिर्फ एक ही सरनेम होगा।
प्रयासरत है-----
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