आर्थिक विभिन्नता – विचार मंथन

आर्थिक विभिन्नता  – विचार मंथन                                        ''हमारे समाज में सामाजिक विभिन्नता के साथ-साथ आर्थिक विभिन्नता भी पाई जाती है। सम्पूर्ण समाज में केवल मुट्ठी भर लोग धनवान है तथा अधिकतर निर्धन। निर्धन होने के नाते लोगों के आगे रोटी की समस्या एक महान समस्या बनी हुई है जिसके सुलझाने में वे हर समय इतने व्यस्त रहते हैं कि सामाजिक एकता के विषय में सोच भी नहीं सकते। इस दृष्टि से सामाजिक एकता के मार्ग में समाज की आर्थिक विषमता एक महान बाधा है। जब तक हम समाज की आर्थिक दशा को नहीं सुधारेंगे तब तक सामाजिक एकता एक समस्या बनी ही रहेगी।
समाज में शिक्षा को ज्ञान का विषय माना जाता है। इस नियम के अनुसार हमारे समाज का प्रत्येक व्यक्ति अपनी-अपनी आवश्यकताओं तथा शक्ति के अनुसार शिक्षा की व्यवस्था कर रहा है। पर अब समय उच्चतम व आधुनिक स्तर पर शिक्षा नए नए तकनीकी सीखने,की व्यवस्था के प्रति रूख करना चाहिए। पहला, बालकों ,बालिकाओं में समानता की भावना को विकसित करना,शिष्टाचार, अपने से बड़ो को आदर सम्मान और छोटो को प्यार ,ये हर मां और पिता को करना होगा। यदि ईर्ष्या द्वेष की भावना विकसति हो गई हो तो फिर सामाजिक एकता असम्भव है।                            🙏🙏🙏✍विनय कुमार दहायत उर्फ कुणाल सिंह दहिया

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