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दाहिया–दहायत समाज का भव्य प्रांतीय महासम्मेलन रीवा

 रीवा के कृष्णा राज कपूर ऑडिटोरियम में आज दाहिया–दहायत समाज का भव्य प्रांतीय महासम्मेलन आयोजित किया गया। इस विराट आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश शासन के माननीय उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला जी ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई। समाज के इस सम्मेलन में रीवा संभाग सहित आसपास के सभी जिलों से दाहिया–दहायत समाज के जिला अध्यक्ष, पदाधिकारी और समाज बंधु बड़ी संख्या में अपने साथियों के साथ पहुंचे और इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक रीति-रिवाजों और मंगलाचारण के साथ हुई, जिसके बाद समाज के वरिष्ठजनों एवं पदाधिकारियों ने मंच पर माननीय उप मुख्यमंत्री का पुष्पगुच्छ और शाल श्रीफल भेंटकर भव्य स्वागत और सम्मान किया। सभागार तालियों की गड़गड़ाहट और उत्साह से गूंज उठा। महासम्मेलन में वक्ताओं ने समाज की एकता, सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और नई पीढ़ी को समाजसेवा व राष्ट्रनिर्माण की दिशा में प्रेरित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उपस्थित जनसमूह ने एक स्वर में समाज के विकास और संगठन की मजबूती का संकल्प लिया माननीय उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला जी ने अपने संबोधन में...

🇲‌🇦‌🇳‌🇩‌🇦‌🇱‌ 🇨‌🇴‌🇲‌🇲‌🇮‌🇸‌🇸‌🇮‌🇴‌🇳‌ (मंडल आयोग)

 🇲‌🇦‌🇳‌🇩‌🇦‌🇱‌ 🇨‌🇴‌🇲‌🇲‌🇮‌🇸‌🇸‌🇮‌🇴‌🇳‌ मंडल आयोग का मसिहा कौन? और दुश्मन कौन? भारत की राजनीति समझना है, तो 15 मिनट समय निकालकर जरूर पढ़ें | 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी, जिसमें मोरारजी देसाई ब्राह्मण थे। जिनको जयप्रकाश नारायण द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिए नामित किया गया था। चुनाव  में जाते समय जनता पार्टी ने अभिवचन दिया था, कि यदि उनकी सरकार बनती है, तो वे *काका कालेलकर कमीशन लागू करेंगे। जब उनकी सरकार बनी, तो OBC का एक प्रतिनिधिमंडल मोरारजी देसाई से मिला और काका कालेलकर कमीशन लागू करने के लिए मांग की मगर मोरारजी देसाई ने कहा कि 'कालेलकर कमीशन' की रिपोर्ट पुरानी हो चुकी है, इसलिए अब बदली हुई परिस्थिति मेँ नयी रिपोर्ट की आवश्यकता है। यह एक शातिर बाह्मण की OBC को ठगने की एक चाल थी।प्रतिनिधिमडंल इस पर सहमत हो गया और B.P. Mandal जो बिहार के यादव थे, उनकी अध्यक्षता*में *मंडल कमीशन बनाया गया।* बी पी मंडल और उनके कमीशन ने पूरे देश में घूम-घूमकर 3743 जातियों को OBC के तौर पर पहचान किया जो 1931 की जाति आधारित गिनती के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या का 52% थे। मंडल कमीशन द्...

मैं जल्दी में निकलती हूँ... Main Jaldi Men Nikalti Hun...

*मैं जल्दी में निकलती हूँ...* रोज़ सुबह घर से, आधे रास्ते में याद आता है सिलेंडर नीचे से बंद किया की नहीं उलझन में पड़ जाती हूँ । कहीं गीजर खुला तो नहीं रह गया कितनी ही जल्दी उठूं और तेज़ी से निपटाऊं काम। *मैं जल्दी में निकलती हूँ...* ऑफ़िस पहुँचने में देर हो जाती है गुस्साई हँसी के साथ बैठती हूँ अपनी सीट पर, नाख़ूनों में फँसे आटे को निकालते हुए। *मैं जल्दी में निकलती हूँ...* काम करती हूँ पूरी लगन से। पूछना नहीं भूलतीं बच्चों का हाल सास की दवाई के बारे में ससुर के स्वास्थ्य का हाल मेरे पास नहीं होता वक़्त मैं जल्दी-जल्दी निपटाती हूँ काम, ताकि समय से काम ख़त्म करके घर के लिए निकल सकूं। *मैं जल्दी में निकलती हूँ...* दिमाग़ में होती है सामान की लिस्ट जो लेते हुए जाना है घर दवाइयाँ, दूध, फल, राशन ऑफ़िस से निकलने को होती ही हैं कि तय हो जाती है कोई मीटिंग। *मैं जल्दी में निकलती हूँ...* बच्चों का प्रेम जल्दी आने की रुलाई बन फूटती है वाशरूम में मुँह धोकर, लेकर गहरी साँस शामिल होती हूँ मीटिंग में। नज़र लगातार होती है घड़ी पर और दिमाग में होती है बच्चों की गुस्से वाली सूरत। *मैं जल्दी में निकलती ह...

अशोक चक्र के लिए बाबासाहब ने बहुत ही परिश्रम किया है ।

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  राष्ट्रध्वज का कलर बनाने के लिए बाबासाहब ने " पेंगाली वेंकैय्या " को चुना था। ...पेंगाली वेंकैय्या को कलर के बारे में जनाकारी थी। ... उनका संवैधानिक चयन बाबासाहब ने किया था। ,.. पेंगाली वेंकैय्या ने ध्वज का कलर तो बनाया लेकिन वो कलर ऊपर निचे थे ... मतलब सफ़ेद रंग सबके ऊपर , फिर ऑरेंज और फिर हरा। ...  बाबासाहब ने सोचा , अगर अशोक चक्र हम रखे तो वो नीले रंग में होना चाहिए , और झंडे के बिच में होना चाहिए  ... ऑरेंज रंग पे " अशोक चक्र " इतना खुल के नहीं दिखेगा। ... बाबासाहब ने सोचा , अगर सफ़ेद रंग को बिच में रखा जाए जो की शांति का प्रतिक है , उसपर अशोक चक्र खुल के भी दिखेगा। .. और शांति के प्रतिक सफ़ेद रंग पे बुद्ध के शांति सन्देश का अशोक चक्र उसका मतलब बहुत गहरा होगा। ...  इसलिए बाबासाहब ने वो कलर ठीक से सेट किये। .. और सफ़ेद रंग बिच में रखा ताकि उसके ऊपर " अशोक चक्र  रखा जाए। ,...  दूसरी तरह से वो रंग गाँधी के कांग्रेस पार्टी के झंडे के कलर हो जाते है। ... बाबासाहब ने जब अशोक चक्र का issue पार्लियामेंट में उठाया तब सबने विरोध किया था। .. गाँधी नेहरू का कहना था क...

शैतान चिल्लाए धर्म खतरे में...

1 जब अंग्रेजों ने नरबलि पर रोक लगाई गई तब शैतान चिल्लाए कि  धर्म खतरे में है!  2 जब अंग्रेजों ने नवविवाहिता का पुरोहितों द्वारा 3 दिन तक शुद्धीकरण प्रथा पर रोक लगाई गई, तब शैतान चिल्लाए धर्म खतरे में है! 3 जब अंग्रेजों ने सती प्रथा पर रोक लगी, तब शैतान जोर जोर से चिल्लाए, धर्म खतरे में है ! 4 जब साहू जी महाराज ने  अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग को प्रतिनिधित्व दिया, तब शैतान चिल्लाए धर्म खतरे में है !  5 जब 1932 में एससी एसटी को प्रतिनिधित्व मिला तब शैतान चिल्लाए, कि धर्म खतरे में है !  6 जब ओबीसी को संविधान के अनुच्छेद 340 के अनुसार प्रतिनिधित्व देने की बात आई तो शैतान चिल्लाए  धर्म खतरे में है ।  7 जब हिंदू कोड बिल आया तब शैतान चिल्लाए,  धर्म खतरे में है!  8 जब अंग्रेजों ने एससी एसटी ओबीसी को प्रतिनिधित्व देने के लिए साइमन कमीशन बनाया तब शैतानों ने चिल्लाया धर्म खतरे में है। 9 जब अन्य पिछड़े वर्गों को प्रतिनिधित्व देने वाली काका कालेलकर कमिशन रिपोर्ट आई तब शैतान चिल्लाए  धर्म खतरे में! 10 आज ओबीसी, एससी, एसटी  समाज अ...

आजकल हर समाज में बच्चों को प्रतिशत की दौड़ में शामिल व अधिक प्रतिशत में प्रोत्साहन स्वरूप प्रतिभा सम्मान ,कम प्रतिशत में बच्चों का अपमान होना उचित है या अनुचित ?

समाज बंधुओं,  मैं कभी कभी यह सोचने पर मजबूर हो जाता हूं कि आजकल हर समाज में बच्चों को प्रतिशत की दौड़ में शामिल कर उनको प्रोत्साहन स्वरूप प्रतिभा सम्मान से नवाजा जा रहा है। इस प्रतिशत की दौड़ में सामाजिक रूप से सम्पन्न, कमजोर, गरीब परिवारों के बच्चे सभी शामिल होते है। इसके अलावा हम उन आर्थिक रूप से गरीब, कमजोर और सरकारी/निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को जो प्रथम श्रेणी धारक है,कुछ सहयोग राशि देकर प्रोत्साहित करते है ताकि वे अपना भविष्य उज्जवल कर सके।  बात सही है लेकिन समाज के बड़े बड़े  भामाशाह,राष्ट्रीय संगठन मेरिट पर बात करते हैं! मेरिट में कौन आता है जिसके पास सुविधाएं है साधन है तथा  संपन्न पारिवारिक पृष्ठ भूमि है !  एक गरीब व्यक्ति, मजदूर तथा पेशेवर काम करता है बड़ी कठिनाई से परिवार का पोषण होता है बच्चा भी पढाई के साथ माता पिता का सहयोग करता है, सरकारी स्कूल में पढ़ता है और सिर्फ  वह उत्तीर्ण भी होता है और कभी असफल भी हो जाता है तो उसे कौन प्रोत्साहित करेगा।  कहते है पांचों उंगलियां समान नहीं होती अतः समाज में ऐसे बच्चे भी है जो पढ़कर भविष्य ...

अगर प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय बन्द हो गए तो,सबसे बड़ी कीमत कौन चुकाएगा ?

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शिक्षा, शिक्षार्थी, शिक्षक *************** अगर प्राथमिक एवं माध्यमिक ,विद्यालय बंद हो गए तो सबसे बड़ी कीमत कौन चुकाएगा, न वह बच्चा जो प्राइवेट अंग्रेज़ी मीडियम स्कूल में पढ़ता है। न वह परिवार जिसके पास ट्यूशन, कोचिंग और ऑनलाइन संसाधन हैं। सबसे पहले शिक्षा से वंचित वही बच्चा होगा जो समाज की आखिरी पंक्ति में खड़ा होकर पहली बार स्कूल तक पहुँचा था। वह जिसकी पीढ़ी में पहली बार किसी ने किताब छुई थी। वह जो गरीबी से लड़कर स्कूल तक आया था। लेकिन अब स्कूल ही बंद किया जा रहा है। शिक्षा हमारे विकास का पहला और सबसे ज़रूरी कदम होना चाहिए। हमने अपने जनप्रतिनिधियों को , सांसद और विधायक को सदन में इसलिए भेजा था कि वे शिक्षा, स्वास्थ्य और समान अवसर की गारंटी दें। लेकिन हुआ इसका उल्टा। सरकारी स्कूलों की छत से पानी टपकता रहा। हर विषय के लिए शिक्षक नहीं मिले। जरूरी सुविधाएं नहीं दी गईं। और फिर कहा गया — "बच्चे कम हैं", इसलिए स्कूल बंद कर दो। लेकिन किसी ने ये नहीं सोचा कि बच्चे कम क्यों हुए। जब स्कूलों की हालत खराब हो, जब शिक्षकों की भर्ती बंद हो, जब शौचालय में पानी, बिजली, पुस्तकालय क...