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वैद्य राम निहोर दाहिया जी के कुछ स्वस्थ संबंधित आयुर्वेदिक नुस्खे।

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 मुझे यह जानकर अति प्रसन्नता होती है कि दाहिया समाज हर क्षेत्र में उत्तरोत्तर तरक्की कर रहा है। वैद्य राम निहोर दाहिया मैहर जिला अंतर्गत अमरपाटन तहसील के धौरहरा ग्राम के निवासी हैं। उनके  नेत्र से संबंधित कुछ दोहे देखिए_ ०_ मिट्टी के नव पात्र में,            त्रिफला देय मिलाय।   सुवह रोज उठ धोइए,            नेत्र रोग मिट जाय।। ०_ ढरका कीचर लालिया,          रौहें खुजली पीर।      रोग रतौधी दूर हो,            धोए त्रिफला नीर।। ०__ और रोग उपजय नहीं,             अरु उपजा मिट जात।         जो त्रिफला के नीर से,               नयन धोय उठ प्रात।। ०_ काली मिर्च महीन कर ,            प्रति दिन खाबे जोय।   नेत्र रोग सब नष्ट हों,           दृष्टि गिद्ध सम होय।। ०_  फेर नहाएं सिर मगर ,        ...

“दाहिया दहायत चेतना सृजन बुक” — समाज चेतना की यात्रा से मातृशक्ति सम्मान तक

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   “जिस समाज का अपना इतिहास नहीं होता, उसका वर्तमान कमजोर और भविष्य अंधकारमय हो जाता है। इतिहास किसी समाज की आत्मा होता है — और आत्मा के बिना कोई अस्तित्व नहीं टिकता।” “A society without its own history loses the strength of its present and the light of its future.” बहुत सुंदर और सार्थक पहल  सोनू दहायत  जी  कि आप सभी लोगों के सामने इस ब्लॉग में अपके सामने लाया हूं जिसमे इनका  उद्देश्य —  “दाहिया दहायत चेतना सृजन बुक”  के तीनों संस्करणों को जोड़कर समाज में जागरूकता फैलाना — वाकई प्रेरणादायक है। 🌺 “दाहिया दहायत चेतना सृजन बुक” — समाज चेतना की यात्रा से मातृशक्ति सम्मान तक ✍️ नमस्कार साथियो, आज मैं आप सभी के साथ एक ऐसी सामाजिक यात्रा साझा करना चाहता हूँ जो केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि  हमारे समाज की आत्मा की अभिव्यक्ति  है — “दाहिया दहायत चेतना सृजन बुक” इस पुस्तक श्रृंखला का उद्देश्य सदैव स्पष्ट रहा है — 👉 समाज के उन प्रेरणादायक व्यक्तित्वों, मातृशक्ति, युवाओं और रक्षक वीर सपूतों को एक साथ लाना जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में  सा...

Principle of Marketing Management – आधुनिक विपणन की दिशा में एक मार्गदर्शक पुस्तक | सोनू दहायत और डॉ. शिवांगी दाहिया

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 हम बात करेंगे “Principle of Marketing Management – आधुनिक विपणन की दिशा में एक मार्गदर्शक पुस्तक” के बारे में। यह पुस्तक मार्केटिंग के सिद्धांतों को सरल हिन्दी में समझाती है और छात्रों, शिक्षकों तथा व्यवसायियों के लिए बहुत उपयोगी है।और आज के ब्लॉग में हम बात करने वाले हैं “मार्केट” यानी बाज़ार के बारे में। आज के समय में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो मार्केट की चर्चा न करता हो। शिक्षा प्रणाली (Education System) में भी अब मार्केटिंग एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है, क्योंकि आज के युग में मार्केट को समझना हमारे दैनिक जीवन का जरूरी हिस्सा बन चुका है। सुबह से लेकर शाम तक, हमारी हर ज़रूरत किसी न किसी रूप में मार्केट से जुड़ी हुई है — चाहे हम व्यापारी हों या ग्राहक। इसी बीच, मैं आपके लिए लेकर आया हूँ एक बेहद उपयोगी और सरल हिन्दी पुस्तक — जिसे लिखा है श्री  सोनू दहायत  और  डॉ. शिवांगी दाहिया  ने। इस ब्लॉग में हम इस पुस्तक के माध्यम से जानेंगे कि मार्केटिंग के सिद्धांत (Principles of Marketing) क्या हैं और यह पुस्तक हमारे सीखने के लिए क्यों खास है। Principle of Marketing ...

दाहिया–दहायत समाज का भव्य प्रांतीय महासम्मेलन रीवा

 रीवा के कृष्णा राज कपूर ऑडिटोरियम में आज दाहिया–दहायत समाज का भव्य प्रांतीय महासम्मेलन आयोजित किया गया। इस विराट आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश शासन के माननीय उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला जी ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई। समाज के इस सम्मेलन में रीवा संभाग सहित आसपास के सभी जिलों से दाहिया–दहायत समाज के जिला अध्यक्ष, पदाधिकारी और समाज बंधु बड़ी संख्या में अपने साथियों के साथ पहुंचे और इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक रीति-रिवाजों और मंगलाचारण के साथ हुई, जिसके बाद समाज के वरिष्ठजनों एवं पदाधिकारियों ने मंच पर माननीय उप मुख्यमंत्री का पुष्पगुच्छ और शाल श्रीफल भेंटकर भव्य स्वागत और सम्मान किया। सभागार तालियों की गड़गड़ाहट और उत्साह से गूंज उठा। महासम्मेलन में वक्ताओं ने समाज की एकता, सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और नई पीढ़ी को समाजसेवा व राष्ट्रनिर्माण की दिशा में प्रेरित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उपस्थित जनसमूह ने एक स्वर में समाज के विकास और संगठन की मजबूती का संकल्प लिया माननीय उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला जी ने अपने संबोधन में...

🇲‌🇦‌🇳‌🇩‌🇦‌🇱‌ 🇨‌🇴‌🇲‌🇲‌🇮‌🇸‌🇸‌🇮‌🇴‌🇳‌ (मंडल आयोग)

 🇲‌🇦‌🇳‌🇩‌🇦‌🇱‌ 🇨‌🇴‌🇲‌🇲‌🇮‌🇸‌🇸‌🇮‌🇴‌🇳‌ मंडल आयोग का मसिहा कौन? और दुश्मन कौन? भारत की राजनीति समझना है, तो 15 मिनट समय निकालकर जरूर पढ़ें | 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी, जिसमें मोरारजी देसाई ब्राह्मण थे। जिनको जयप्रकाश नारायण द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिए नामित किया गया था। चुनाव  में जाते समय जनता पार्टी ने अभिवचन दिया था, कि यदि उनकी सरकार बनती है, तो वे *काका कालेलकर कमीशन लागू करेंगे। जब उनकी सरकार बनी, तो OBC का एक प्रतिनिधिमंडल मोरारजी देसाई से मिला और काका कालेलकर कमीशन लागू करने के लिए मांग की मगर मोरारजी देसाई ने कहा कि 'कालेलकर कमीशन' की रिपोर्ट पुरानी हो चुकी है, इसलिए अब बदली हुई परिस्थिति मेँ नयी रिपोर्ट की आवश्यकता है। यह एक शातिर बाह्मण की OBC को ठगने की एक चाल थी।प्रतिनिधिमडंल इस पर सहमत हो गया और B.P. Mandal जो बिहार के यादव थे, उनकी अध्यक्षता*में *मंडल कमीशन बनाया गया।* बी पी मंडल और उनके कमीशन ने पूरे देश में घूम-घूमकर 3743 जातियों को OBC के तौर पर पहचान किया जो 1931 की जाति आधारित गिनती के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या का 52% थे। मंडल कमीशन द्...

मैं जल्दी में निकलती हूँ... Main Jaldi Men Nikalti Hun...

*मैं जल्दी में निकलती हूँ...* रोज़ सुबह घर से, आधे रास्ते में याद आता है सिलेंडर नीचे से बंद किया की नहीं उलझन में पड़ जाती हूँ । कहीं गीजर खुला तो नहीं रह गया कितनी ही जल्दी उठूं और तेज़ी से निपटाऊं काम। *मैं जल्दी में निकलती हूँ...* ऑफ़िस पहुँचने में देर हो जाती है गुस्साई हँसी के साथ बैठती हूँ अपनी सीट पर, नाख़ूनों में फँसे आटे को निकालते हुए। *मैं जल्दी में निकलती हूँ...* काम करती हूँ पूरी लगन से। पूछना नहीं भूलतीं बच्चों का हाल सास की दवाई के बारे में ससुर के स्वास्थ्य का हाल मेरे पास नहीं होता वक़्त मैं जल्दी-जल्दी निपटाती हूँ काम, ताकि समय से काम ख़त्म करके घर के लिए निकल सकूं। *मैं जल्दी में निकलती हूँ...* दिमाग़ में होती है सामान की लिस्ट जो लेते हुए जाना है घर दवाइयाँ, दूध, फल, राशन ऑफ़िस से निकलने को होती ही हैं कि तय हो जाती है कोई मीटिंग। *मैं जल्दी में निकलती हूँ...* बच्चों का प्रेम जल्दी आने की रुलाई बन फूटती है वाशरूम में मुँह धोकर, लेकर गहरी साँस शामिल होती हूँ मीटिंग में। नज़र लगातार होती है घड़ी पर और दिमाग में होती है बच्चों की गुस्से वाली सूरत। *मैं जल्दी में निकलती ह...

अशोक चक्र के लिए बाबासाहब ने बहुत ही परिश्रम किया है ।

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  राष्ट्रध्वज का कलर बनाने के लिए बाबासाहब ने " पेंगाली वेंकैय्या " को चुना था। ...पेंगाली वेंकैय्या को कलर के बारे में जनाकारी थी। ... उनका संवैधानिक चयन बाबासाहब ने किया था। ,.. पेंगाली वेंकैय्या ने ध्वज का कलर तो बनाया लेकिन वो कलर ऊपर निचे थे ... मतलब सफ़ेद रंग सबके ऊपर , फिर ऑरेंज और फिर हरा। ...  बाबासाहब ने सोचा , अगर अशोक चक्र हम रखे तो वो नीले रंग में होना चाहिए , और झंडे के बिच में होना चाहिए  ... ऑरेंज रंग पे " अशोक चक्र " इतना खुल के नहीं दिखेगा। ... बाबासाहब ने सोचा , अगर सफ़ेद रंग को बिच में रखा जाए जो की शांति का प्रतिक है , उसपर अशोक चक्र खुल के भी दिखेगा। .. और शांति के प्रतिक सफ़ेद रंग पे बुद्ध के शांति सन्देश का अशोक चक्र उसका मतलब बहुत गहरा होगा। ...  इसलिए बाबासाहब ने वो कलर ठीक से सेट किये। .. और सफ़ेद रंग बिच में रखा ताकि उसके ऊपर " अशोक चक्र  रखा जाए। ,...  दूसरी तरह से वो रंग गाँधी के कांग्रेस पार्टी के झंडे के कलर हो जाते है। ... बाबासाहब ने जब अशोक चक्र का issue पार्लियामेंट में उठाया तब सबने विरोध किया था। .. गाँधी नेहरू का कहना था क...