मन व्यथित आज के युवाओं को देखकर ~ लड़का / लड़की
आज ये तस्वीर देखकर निःशब्द हूँ मैं कुछ आज के पढ़े लिखे अनपढ़ युवाओं की बात करता हूँ कि जो हमेशा यही कहते रहते हैं कि मेरे माता-पिता आखिर मेरे लिए किए ही क्या हैं लोग ये क्यों भूल जाते हैं की आपके जो माता-पिता आपके जन्म के पूर्व ही सपने देखना चालू कर देते हैं कि मेरे जो भी बच्चें हों चाहे लड़का या लड़की हो उसे खूब पढ़ा लिखाकर ईमानदारी के साथ काबलियत हो जाये और अपने पैरों पे खड़ा हो जाये चाहे धूप, बारिश, चाहे एक टाइम खुद भूँखा रहना हो सब कुछ बच्चों से छुपाकर निःस्वार्थ भाव से करते जाते हैं फिर वही बच्चा बड़ा होकर जब मां-बाप बूढ़े हो जाते हैं तो कहते हैं कि इन्होंने मेरे लिए किया ही क्या है ऐसा सुनकर जीते जी मर जाते हैं और सोचते हैं की हो गया किसने कहा ,आखिर वो तो अपना ही हैं जब हमेशा सुन सुन कर हताश हो जाते हैं तब सोचते हैं कि काश औलाद ही ना होते नोट~'अंत मे यही कहूंगा कि अपने अपने माता पिता की निःस्वार्थ भाव से सेवा करे यदि वो हैं तो दुनिया जन्नत दिखती हैं'~विनय उर्फ़ कुणाल सिंह दहिया