Posts

Showing posts from September, 2019

मन व्यथित आज के युवाओं को देखकर ~ लड़का / लड़की

Image
आज ये तस्वीर देखकर निःशब्द हूँ मैं कुछ आज के पढ़े लिखे अनपढ़ युवाओं की बात करता हूँ कि जो हमेशा यही कहते रहते हैं कि मेरे माता-पिता आखिर मेरे लिए किए ही क्या हैं लोग ये क्यों भूल जाते हैं की आपके जो माता-पिता आपके जन्म के पूर्व ही सपने देखना चालू कर देते हैं कि मेरे जो भी बच्चें हों चाहे लड़का या लड़की हो उसे खूब पढ़ा लिखाकर ईमानदारी के साथ काबलियत हो जाये और अपने पैरों पे खड़ा हो जाये चाहे धूप, बारिश, चाहे एक टाइम खुद भूँखा रहना हो सब कुछ बच्चों से छुपाकर निःस्वार्थ भाव से करते जाते हैं फिर वही बच्चा बड़ा होकर जब मां-बाप बूढ़े हो जाते हैं तो कहते हैं कि इन्होंने मेरे लिए किया ही क्या है ऐसा सुनकर जीते जी मर जाते हैं और सोचते हैं की हो गया किसने कहा ,आखिर वो तो अपना ही हैं जब हमेशा सुन सुन कर  हताश हो जाते हैं तब सोचते हैं कि काश औलाद ही ना होते  नोट~'अंत मे यही कहूंगा कि अपने अपने माता पिता की निःस्वार्थ भाव से सेवा करे यदि वो हैं तो दुनिया जन्नत दिखती हैं'~विनय उर्फ़ कुणाल सिंह दहिया

दहिया जी का जोश और जुनून

Image
🙏🙏🙏🙏जब तक है सांस में सांस, इंसाफ के लिए लड़ता रहूंगा...... जिंदिगी की आखिरी सांस तक,अपने समाज के लिए लड़ता रहूंगा..... जब तक ना आ जाये पसीना मेहनत का,मैं हक के लिए लड़ता रहूंगा...... जब तक ना होगा जुर्म खत्म, मैं हर उस जुर्म करने वाले के साथ लड़ता रहूँगा..... जब तक ना मिलेगा बेगुनाहों को इंसाफ, मैं उन बेगुनाहों के लिए लड़ता रहूँगा.... 🙏🙏🙏🙏🙏🙏~कुणाल सिंह दाहिया चले हैं जिस सफ़र 🚕 पर उसका कोई अंजाम तो होगा। जो हौंसला 🖐️ दे सके ऐसा कोई जाम तो होगा, जो दिल ♥️ में ठान ही ली है कामयाबी ✌️ को अपना बनाने की तो कोई न कोई इंतजाम तो होगा।। ~कुणाल सिंह दहिया 

आर्थिक विभिन्नता – विचार मंथन

आर्थिक विभिन्नता  – विचार मंथन                                        ''हमारे समाज में सामाजिक विभिन्नता के साथ-साथ आर्थिक विभिन्नता भी पाई जाती है। सम्पूर्ण समाज में केवल मुट्ठी भर लोग धनवान है तथा अधिकतर निर्धन। निर्धन होने के नाते लोगों के आगे रोटी की समस्या एक महान समस्या बनी हुई है जिसके सुलझाने में वे हर समय इतने व्यस्त रहते हैं कि सामाजिक एकता के विषय में सोच भी नहीं सकते। इस दृष्टि से सामाजिक एकता के मार्ग में समाज की आर्थिक विषमता एक महान बाधा है। जब तक हम समाज की आर्थिक दशा को नहीं सुधारेंगे तब तक सामाजिक एकता एक समस्या बनी ही रहेगी। समाज में शिक्षा को ज्ञान का विषय माना जाता है। इस नियम के अनुसार हमारे समाज का प्रत्येक व्यक्ति अपनी-अपनी आवश्यकताओं तथा शक्ति के अनुसार शिक्षा की व्यवस्था कर रहा है। पर अब समय उच्चतम व आधुनिक स्तर पर शिक्षा नए नए तकनीकी सीखने,की व्यवस्था के प्रति रूख करना चाहिए। पहला, बालकों ,बालिकाओं में समानता की भावना को विकसित करना,शिष्टाचार, अपने से बड़ो...